इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा जहर का रूप ले चुकी है। ऐसी आबोहवा में लोगों को सांस लेने में समस्या हो रही है। इस बीच लगातार बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) का तीसरा चरण लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत अब नई पाबंदियां लागू हो गई हैं। अब दिल्ली और आसपास के जिलों में बीएस-3 और बीएस-4 डीजल गाड़ियों के सड़क पर चलने पर रोक रहेगी। केवल बीएस-6 डीजल वाहनों के चलने की अनुमति होगी। साथ ही गैर-जरूरी निर्माण और तोड़-फोड़ के काम पर रोक शामिल है।
ग्रैप-3 में उठाए जाएंगे ये कदम
सड़कों की मशीन/वैक्यूम आधारित की जाने वाली सफाई की संख्या बढ़ाना।
सड़कों पर विशेषतौर पर हॉटस्पॉट, ज्यादा यातायात वाले रास्तों पर पीक ट्रैफिक वाले घंटों से पहले धूल रोकने के साथ रोज पानी का छिड़काव और इकट्ठा की गई धूल आदि को निर्धारित स्थलों या लैंडिफल में डालना।
सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बढ़ाना। पीक टाइम से इतर यात्रा को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग दरें शुरू करना।
कुछ अपवादों को छोड़कर निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियां प्रतिबंधित करना।
स्टोन क्रशर का संचालन बंद करना।
एनसीआर में खनन और संबंधित गतिविधियों को बंद रखा जाएगा।
दिल्ली और गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिलों में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल एलएमवी (4 पहिया) पर प्रतिबंध।
एनसीआर में पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूलों में कक्षाएं बंद करने और ऑनलाइन मोड में कक्षाएं संचालित करने का विकल्प।
ग्रैप को लागू कौन करता है?
ग्रैप पर बनाई गई उप-समिति अग्रिम कार्रवाई की योजना बनाने के लिए समय-समय पर बैठक करती है। इसके साथ है उप-समिति मौजूदा वायु गुणवत्ता और एक्यूआई पूर्वानुमान के आधार पर के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक आदेश जारी करती है।
उप-समिति ग्रैप के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाइयों की भी समीक्षा करती है। एनसीआर में आने वाले राज्यों और दिल्ली के मुख्य सचिव अक्सर ग्रैप के कार्यों और कार्यान्वयन की समीक्षा करेंगे, खासकर जब हवा की गुणवत्ता गिरती है या ‘गंभीर’ या ‘गंभीर +’ श्रेणी में गिरने की आशंका होती है।
ग्रैप कार्य योजना में कितने चरण होते हैं?
ग्रैप को दिल्ली एनसीआर में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता के 4 विभिन्न चरणों के हिसाब से बांटा गया गया है। ग्रैप का चरण-l उस वक्त लागू होता है, जब दिल्ली में AQI का स्तर 201-300 के बीच होता है।
ग्रैप का दूसरा चरण उस परिस्थिति में प्रभावी होता है, जब राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 301-400 के बीच ‘बहुत खराब’ मापा जाता है। चरण II के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 301-400 के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले शुरू की जाती है।
चरण III ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता के बीच लागू किया जाता है। इस वक्त दिल्ली में एक्यूआई 401-450 के बीच होता है। ग्रैप के चरण III के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 400 से अधिक के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले शुरू की जाती है।
ग्रैप कार्य योजना का अंतिम और चरण IV ‘गंभीर +’ वायु गुणवत्ता की परिस्थिति में लागू किया जाता है। इस दौरान दिल्ली में AQI स्तर 450 से ज्यादा होना चाहिए। दूसरे और तीसरे चरण की तरह चरण IV के तहत कार्रवाई एक्यूआई के 450 के अनुमानित स्तर तक पहुंचने से कम से कम तीन दिन पहले ही शुरू की जाती है।